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सावन की आस🌧☔🌂

  • Writer: Smriti Tiwari
    Smriti Tiwari
  • Jul 18, 2017
  • 1 min read

🌧🌧🌧 

बारिश ने जो माटी को छुआ तो सौंधी खुशबू बिखर गई , उन इत्र भरे बाज़ारों की राहें ही मुझको बिसर गई........ पेड़ों की डाली पर सोये कोपल की निंदिया उचट गई , ठंडी पुरवाई चली जो फिर मौसम की रंगत बदल गई........ सावन की दस्तक हुई तो फिर हर भय की कुण्डी चटक गई , जो गुजरा खेत खलिहानों से कितने चेहरों की रंगत निखर गई..... बारिश ने जो माटी को छुआ तो सौंधी खुशबू बिखर गई , उन इत्र भरे बाज़ारों की राहें ही मुझको बिसर गई........ 


 
 
 

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