मैं कौन हूं ?
- Smriti Tiwari
- Sep 6, 2017
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वीभत्स हूं निकृष्ट हूं फ़िर भी अति विशिष्ट हूं देह सज्जना की चादर में लिपटी हुई मैं प्रतिष्ठ हूं । मौनतः स्वीकार हूं सामाजिक तिरस्कार हूं आचार-विचार के पलड़ों पर रखा हुआ व्यभिचार हूं । गहरे एकाकीपन में हूं हर क्षण स्वयं ही रण में हूं कितने ही तन वरते हुये मैं मन के तीव्र भंवर में हूं । गृह लक्ष्मी के आसन हेतु एकस्वर में अस्वीकार्य हूं दुर्गा रूप गढ़ने की सुशोभित माटी की मैं पहरेदार हूं । कई नेत्रों में अशुद्ध हूं जीवन लय के विरुद्ध हूं भाग्य के मझधार से लड़ मैं अपने पथ पे प्रबुद्ध हूं । स्वार्थी मन में गुप्त हूं लोभ का रचा शस्त्र हूं आख़िर फ़िर भी क्यों नियति से परित्यक्त हूं युगों से सार्वभौम हूं स्थिति पे अपनी मौन हूं इन सखी सिलवटों से पूछती तू ही बता दे मैं कौन हूं ? •••••••✍✍✍ ● Śमृति @ मुक्त ईहा••••••• © https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Like @ https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/ Follow@ https://www.instagram.com/mukht_iiha/ छायाचित्र आभार🤗 - !nterne+

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