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ये ज़िंदगी गुलज़ार है💐💐

  • Writer: Smriti Tiwari
    Smriti Tiwari
  • Sep 8, 2017
  • 1 min read

कभी ताज़े शहद सी मीठी तो कभी पुराना खट्टा चटकारा अचार है पतझड़ों के ठूंठ सी तनी हुई रहती तो कभी झूमती मदमस्त सी बहार है हैं शिकवे-शिकायतें इससे ख़ुदा ! पर तेरी बख्शी हुई ये ज़िंदगी गुलज़ार है । धीमे से सुलगता रहा वक़्त मानो कह रहा मुझको कुंदन करेगा ये वो तपता अंगार है जो रूह मेरी तपकर पत्थर सी होना चाहे तो धीमी बारिशों सी ये खुशनुमा फ़ुहार है हैं शिकवे-शिकायतें इससे ख़ुदा ! पर तेरी बख्शी हुई ये ज़िंदगी गुलज़ार है । इस रंगमंच की आपही मंझी कलाकार है मद्धम-मद्धम सा चढ़े नशे सा वो ख़ुमार है दौड़ती सरपट तेज़ पवन की रफ़्तार है हैं शिकवे-शिकायतें इससे ख़ुदा ! पर तेरी बख्शी हुई ये ज़िंदगी गुलज़ार है । ज़ख्म देती तीखे ये दो धारी तलवार है मलहम लगाती जैसे मुझसे इसको प्यार है कहीं दिलों का करती सरेआम क़ारोबार है कभी एक सच्ची सी छुअन की दरकार है । हैं शिकवे-शिकायतें इससे ख़ुदा ! पर तेरी बख्शी हुई ये ज़िंदगी गुलज़ार है । उम्र को दराज़ में रख मुस्कुरा दो घड़ी भर बचपन का जवानी पर बाकी कुछ उधार है हैं शिकवे-शिकायतें इससे ख़ुदा ! पर तेरी बख्शी हुई ये ज़िंदगी गुलज़ार है । •••••••✍✍✍ ● Śमृति @ मुक्त ईहा••••••• © https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Like @ https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/ Follow@ https://www.instagram.com/mukht_iiha/ छायाचित्र आभार🤗 - !nterne+ 


 
 
 

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