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स्मृति ....

  • Writer: Smriti Tiwari
    Smriti Tiwari
  • Jul 27, 2017
  • 1 min read

स्मृतियों का रेला है.. जीवन सारा एक मेला है... कोई कहता नेमत रब की.. तो किसी के लिए झमेला है... कहीं भीड़ का घना कोलाहल है... तो कोई नितांत अकेला है... घड़ी की सुईयां दौड़ती हैं... वक़्त का चलता रहता फ़ेरा है... 'स्मृति' सागर तट पर टहलती उस बच्ची के समान है जो कब कौन सा कंकड़ उठाकर अपनी जेब में रख ले पता ही नहीं चलता! ज़रा सोचिए एक जीवन में कितने लम्हे और उन लम्हों में कितनी स्मृतियां?? कई बार कितना कुछ है जो महती होकर भी बिसर जाता है और कितना कुछ बेमतलब ही यादों की तिजोरी में सुरक्षित रह जाता है।।। स्मृतियों पर किसी का अधिकार नहीं होता, यह स्वयं स्वेक्षा से मन के गलियारों में विचरती है। कभी कोई पिटारा खुला तो बस अठखेलियां करती हैं। सावन में कागज़ की कश्ती, गर्मी में दोपहरी की मस्ती, सर्द रातों वाली सिगड़ी तो कभी यारी दोस्ती की तिकड़ी।। स्मृतियाँ ही हैं जो जीवन को नई लय प्रदान करती हैं, नवीन चेतना का संचार करती हैं , अधरों पर मुस्कान देती हैं या हमारे गालों पर चुपके से चक्षु-नीर लुढ़का कर ग़ुम हो जाती हैं।। किंतु एक बात तो यथार्थ सत्य है कि स्मृति जैसी भी हो अत्यंत प्रिय होती है हम सभी को क्योंकि स्मृति ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारे भावी जीवन की आधारशिला होती है।।। इसलिए "जीवन के हर क्षण में स्मृतियां संजोये"... @ मुक्त ईहा © https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/ © https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha 


 
 
 

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