अम्मा 👱👵....
- Smriti Tiwari
- Jul 28, 2017
- 1 min read
कहने को कहती जाऊं मैं पर बात खत्म न होती है कैसे मैं बतलाऊँ तुझको अम्मा कैसी होती है ।।। मीलों दूर बैठ के भी उसकी बातों में तू ही होती है कैसे मैं बतलाऊँ तुझको अम्मा कैसी होती है ।।। खिल उठती हैं सूनी आंखे जब दरवाज़े पर दस्तक होती है।। कैसे मैं बतलाऊँ तुझको अम्मा कैसी होती है ।।। तेरी यादों में रोजाना वो तकिया गीला करके सोती है।।। कैसे मैं बतलाऊँ तुझको अम्मा कैसी होती है ।।। झिड़की देकर रुठती फिर चुपके से थपकी देती होती है ।।। कैसे मैं बतलाऊँ तुझको अम्मा कैसी होती है ।।। मन की सारी यादें-बातें उससे छिपी न होती है ।।। कैसे मैं बतलाऊँ तुझको अम्मा कैसी होती है ।।। हर क्षण मेरे सुख-दुःख की माँ सबसे अच्छी साझी होती है ।।। कैसे मैं बतलाऊँ तुझको अम्मा कैसी होती है ।।। कहने को कहती जाऊं मैं पर बात खत्म न होती है कैसे मैं बतलाऊँ तुझको अम्मा कैसी होती है ।।। ~~ मुक्त ईहा © https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Like @ https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/ Follow@ https://www.instagram.com/mukht_iiha/

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