बाबा👤
- Smriti Tiwari
- Jul 29, 2017
- 1 min read
इक मीठे रुदन के साथ मैं आयी तेरी गली , तुझे देखा जो अधरों पे एक मुस्कान खिली .... चुप हो गई जो तूने आकर बाहों में उठाया , उस प्यार भरे स्पर्श ने मोहे धीरे से हंसाया .... मेरे पलने को हिलाया मीठी लोरी गाके सुलाया , अधखुली पलकों से मोहे सपना बुनना सिखाया .... धीमे से नन्हें कदम को मेरे आगे उठना सिखाया , जो उंगली छुड़ा के भागी तो दौड़ के सीने से लगाया ... यूं ही बढ़ती रही तो तुमने हर पल समझाया , उम्रें जो चढ़ती रही जीने का सलीका सिखलाया .... दिखलाते नहीं चिंता न कोई डर कभी बतलाया , बाबा तुमसे ही हमने अपना सब सुख पाया ... माँ के आंचल को छोड़ दुनिया में जो पग बढ़ाया , तो क़दम दर क़दम तुमको अपना हमराही पाया ....
मेरा सम्मान है तू अभिमान है तू फ़रिश्ते ज़मीन पे होते प्रमाण है तू बाबा तुम हो तो खुद पे यक़ीन है आया
खुदी को कर बुलंद आगे बढ़ना सिखाया ....
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