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"क्योंकि आप सब हैं तो दोस्ती के मायने हैं".... दोस्ती के नाम....

  • Writer: Smriti Tiwari
    Smriti Tiwari
  • Aug 6, 2017
  • 2 min read

"झिड़कियों की सिगड़ियां दहकती है विश्वास की चाशनी हौले से उबलती है । बरसों की बेबाकियां खुल के पिघलती हैं सुन यारा तब तेरा-मेरा याराना पकता है ।" " दोस्ती " जो नाम बताने के साथ शुरू होकर राह दिखाने तक साथ चलती है । दिलों का मेल होता है और रोज़ाना का मिलाप और फिर क्या ? दोस्ती का रंग सिर चढ़कर बोलने लगता है । दोस्ती 'माँ' के पहले स्पर्श से शुरू होती है, 'मौसी-बुआ' के लाड़ के साथ बढ़ती है, 'बहन' के लंबे किस्सों में घुली होती है । सुमधुर 'गीतांजली' सी 'सरगम' के साथ हो गुनगुनाती है । यहां 'रंज-ना' होता है , 'मीठी' बातें होती हैं और बेवजह बैठे रहने का अनूपम सुकून । कभी यूं ही 'वैभव' होता है तो कभी 'पप्पा-चाचा' का 'ओम' 'आशीष' । दोस्ती की 'ज्योति' सदैव चेहरे पर 'मुस्कान' बिखेरती है और सवेरे की 'किरण' के साथ जीवन 'विपिन' को महका देती है। यह 'स्तुति' है ईश की, 'आकांक्षा' नयी सोच की, यह 'गार्गी' की वाणी ही कहीं तो कहीँ 'पायल' की रुनझुन खनक । 'पूजा' की 'स्वर्णा' 'रचना' है तो कभी 'निशा' की शांत 'मनोरमा' ख़ामोशी। 'नेहा' की बारिश भी है, 'संस्कृति' का मिलन भी। 'स्नेहा' बंधन है इसमें और 'कविता' की लय भी जो मन में 'अंकिता' है। यहां कुछ नाम हैं, कुछ ग़ुमनाम हैं पर आप सब की दोस्ती है तो हम खुशनसीब इंसान हैं।। सच ही कहा है - ए दोस्त तेरी दोस्ती कितने रूप धरा करती है, कभी झगड़ती कभी है लड़ती कभी रूठा करती है । पर तेरी यही बात तुझे सबसे जुदा करती है, ए दोस्त तेरी दोस्ती कितने रूप धरा करती है।। ~~Śमृति @ मुक्त ईहा © https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Like @ https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/ Follow@ https://www.instagram.com/mukht_iiha/ 


 
 
 

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