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भाई...

  • Writer: Smriti Tiwari
    Smriti Tiwari
  • Aug 6, 2017
  • 1 min read

एक रिश्ते का उत्सव पर्व जहां कलाई पर बंधे प्रीत के धागे की गांठ के साथ रिश्ता और मजबूत होता है । माथे पर सजते तिलक के साथ विश्वास गहराता है कि समय कैसा भी हो, भाई है तो सब ठीक है।। मेरे सभी आधे - पूरे , छोटे-बड़े , लंबे-ठिग्गे, मोटू-पतलू भाइयों के नाम ।।।। कभी समझाते कभी डांट पिलाते कभी दुनिया से लड़ जाते हैं । एक कलावे का वचन निभाते भाई कई रिश्ते जी जाते हैं । कभी हंसाते कभी रुलाते कभी बेवज़ह घबराते हैं । कलाई पर जो धागा रखूं तो वो धीमे से मुस्काते हैं । कभी समझाते कभी डांट पिलाते कभी दुनिया से लड़ जाते हैं । एक कलावे का वचन निभाते भाई कई रिश्ते जी जाते हैं । ●Śमृति @ मुक्त ईहा © https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Like @ https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/ Follow@ https://www.instagram.com/mukht_iiha/ 


 
 
 

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