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कुछ प्रश्न अनुत्तरित क्यों है ?

  • Writer: Smriti Tiwari
    Smriti Tiwari
  • Aug 9, 2017
  • 2 min read

अरे भाई ! आप ही बताइये ....... महिलाएं रात 9 बजे के बाद घर से बाहर निकलती ही क्यूँ हैं ? लड़कियां छोटे कपड़े पहनती ही क्यूँ हैं ? चाउमीन-पिज्जा खाती ही क्यूँ हैं ? हंस के बोलती-बताती ही क्यूँ हैं ? लड़कों से दोस्ती करती ही क्यूँ हैं ? पाश्चात्य सभ्यता के रंग मे रंगती ही क्यूँ हैं ? आप कभी कॉफी पीने क्यूँ नहीं चलतीं ? कभी कहीं बाहर क्यूँ नहीं मिलतीं ? नारी तो पैर की जुत्ती है ? मोहल्ले मे आई नई ब्युटि है ? भाई साहब ! जो लड़की घर से बाहर रह रही है वो शुद्ध कैसे होगी ? संस्कारों वाली उसमे फेहरिस्त कैसे होगी ? कमाती कितना भी हो पर घर का काम जानती है या नहीं ? अरे ! हमने बहुत खर्चा किया है अपने बेटे कि पढ़ाई पर ,आप बताइये कितना देंगे वरना रिश्तों की कोई कमी है नहीं? रंग थोड़ा गेंहुआ है गोरा नहीं ? ज़बान कम चलाओ, तुम छोरी हो छोरा नहीं ?  क्यूँ इतना पढ़ाएँ-लिखाएँ शादी के बाद तो पराए घर ही जाना है । अजी बेटों से वंश बढ़ता है , बेटी से तो बस सिर ही झुकना है । बेटा होता तो दावत भरपूर , बेटी हो तो लड्डू मोतीचूर । अरे लड़की तो छाती पे मूंग दाल है , बेटा दिलाता जगत फेरे से पार है । बेटी के सिर पर परिवार की लाज सम्हालने का भार है, बेटा जो भी करे वो तो उसका अधिकार है । ऐसे कई सारे मौलिक प्रश्न और जवाबदेह उत्तर हैं जो कुछेक तथाकथित रसूखदार अथवा सामाजिक तत्व गाहे-बगाहे ही पूछ बैठते हैं हम सभी से या समझाइशों मे परोस दिये जाते हैं हमे , जब उनसे जवाब मांगा जाता है एक छोटे से सवाल का कि आख़िर महिलाओं के साथ ऐसा क्यूँ है ? तो हम बस यही कहना चाहते हैं की...... महोदय और श्रीमान ! ज़रा फरमाइएगा ध्यान । कुछ सवाल अनुत्तरित होते हैं , क्योंकि जन्मे कहीं न कहीं उस कोख ने ही आप जैसे पाप हैं जिन्हे हम आज भी ढोते हैं । काश हमने आप को जो जिम्मेवारी दी थी आप उसे निभा पाते । शारीरिक बलिष्ठता को सही जगह दिखा पाते ।     अब हम आपसे बराबरी का अधिकार नहीं चाहते ,,,,, क्यूंकि हम आपके स्तर तक गिर नहीं पाते तो बराबरी कैसी ? ₹ सम्मान की आशा करते हैं किंतु कोई बात नहीं , ज़रूरी तो नहीं की हमे आपसे सदैव सही अल्फ़ाज़ ही मिलें किन्तु यह बात अवश्य है की अगर सही हक़ न भी मिले तो भी हम अपने अस्तित्व को निखारते हुये अनवरत बढ़ते जाएंगे और प्रश्नों की अब परवाह नहीं न ही आपकी कुत्सित वैचारिक विवेचना की क्यूंकि कुछ प्रश्न अनुत्तरित ही रहते हैं जैसे हम सभी का एक प्रश्न कि आप हमारे लिए इतने फिक्रमंद ही क्यों हैं ? …….... उत्तर नहीं है तो फ़िर... “ श्रीमान ! आप इतना मलिन विचार करते ही क्यूँ हैं ?  बेमानी सी दलीलें दलते ही क्यूँ हैं ?" जानते हैं ..... "आपसे हम कभी सार्थक  उत्तर नहीं पायेंगे ? आपकी कमतरी दिखाते हमारे उक्त सारे ही प्रश्न सदा अनुत्तरित ही रह जायेंगे ? ”​ क्योंकि अब सार्थक उत्तर अपेक्षित है.... ● Śमृति @ मुक्त ईहा © https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Like @ https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/ Follow@ https://www.instagram.com/mukht_iiha/ 


 
 
 

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