दो शब्द...✍
- Smriti Tiwari
- Aug 13, 2017
- 1 min read
दो नैनों से दुनिया देखी पर मन के अंदर झाँक न पाये । दो हाथों से सृजन कर डाला फिर भी इंसान बना न पाये । दो कर्णों ने सुने सभी स्वर आत्म पुकार ही सुन न पाये । दो पैरों से जग भी है नापा लेकिन दूरियां मिटा न पाये । दो शब्द बोलने चले जब हम पूरा कलमा ही गा आये । दो वक़्त की रोटी के फ़ेरे में हैं कितनी ठोकर खाये । दोगले लोगों की महफ़िल में हमको सब दोषी ठहरायें । सबने ही ....... दो नैनों से दुनिया देखी पर मन के अंदर झाँक न पाये । ● Śमृति @ मुक्त ईहा © https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Like @ https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/ Follow@ https://www.instagram.com/mukht_iiha/

Comments