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वेदना😢

  • Writer: Smriti Tiwari
    Smriti Tiwari
  • Aug 17, 2017
  • 1 min read

इंसानियत को दफनाकर सब चैन से सो गए देखिये तो लोग यहां सारे पत्थर से हो गए ।। हमराज़ ढूंढते हम नकाबपोशों के शहर में पर्दे सरके तो अपने भी अज़नबी से हो गए ।। बोली लगाने में दहेज़ की जो वालिद मेरे चूके तो दुनिया के सभी ऐब जैसे मुझमें ही हो गए ।। धुआं ग़ुबार वाला नज़रों में चुभता इस क़दर बंद आँखों में ही रंगीन ख़्वाब मैले से हो गए ।। सितमगरों ने वार बेगुनाह पे इस क़दर हैं दागे बिखरे लोग देखो हुज़ूम-ए-लश्कर से हो गए ।। इंसानियत को दफनाकर सब चैन से सो गए देखिये तो लोग यहां सारे पत्थर से हो गए ।। ◆◆◆◆◆◆ ● Śमृति @ मुक्त ईहा © https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Like @ https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/ Follow@ https://www.instagram.com/mukht_iiha/ छायाचित्र आभार🤗 - !nterne+  


 
 
 

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