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अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि 🙏....

  • Writer: Smriti Tiwari
    Smriti Tiwari
  • Aug 20, 2017
  • 2 min read

क्यों पटरियां थरथरा रही फिर मानवता फड़फड़ा रही आये दिन ये क्या हो रहा है सवाल यही दोहरा रही ।। आये दिन का हाल हुआ ये मानव पल में कंकाल हुआ रे देख के ये बदहाल व्यवस्था हर सांस कसमसा रही ।। बातों के बस पेंच है लड़ते हालातों में आम जन पिसते मर्यादा आख़िर है किस रस्ते ये सोच बस तिलमिला रही ।। मुआवजों से क्षतिपूर्ति न होती पथरीली आंखे बरबस बहतीं हृदय में है जो फ़ांस सी चुभन रह रहकर वो बिलबिला रही ।। पटरी पर खड़ा हूं आँक रहा मंज़र की दहशत को नाप रहा छूटे निशान हैं जो आख़िरी से कागज़ी रपट उन्हें मिटा रही ।। किसी के लिए रोज़मर्रा का सफ़र तो किसी के लिए एक नई राह की ओर वाली रवानगी । कोई यादों को साथ लिए चला आ रहा था तो कोई नए भविष्य के सपने संजोये बढ़ा जा रहा था । और फिर यकायक एक चूक या अनहोनी कि एकसाथ 14 डब्बे पटरी को छोड़ ग़लत राह को बढ़ गए और टूट गई न जाने कितनों की सांसों की डोर, जाने कितने ही घायल हुए ? विगत कुछ समय से ये घटनाएं इतनी आम हो चली हैं जितना शायद मुसाफ़िर सोच भी नहीं सकता। हमेशा की तरह घटना होती है, बातों का सिलसिला और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू होता है। चंद मोहरों से तौल कर इंसानी जान की कीमत तय कर दी जाती है और हाँ राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी कर दिया जाता है और बस हम इतिश्री पा लेते हैं एक बार फिर सिर्फ अफ़सोस जताकर । किन्तु क्या सचमुच यह पर्याप्त है ? एक बार ईमानदारी से अपने आप से पूछिये..... #मौन प्रार्थना मुजफ़्फ़र नगर रेल हादसे में पीड़ित एवं उनके परिवारजनों के लिए।।। ईश्वर आपके साथ रहें।। ॐ शांतिः ।।।।। ◆◆◆◆◆◆ ● Śमृति @ मुक्त ईहा © https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Like @ https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/ Follow@ https://www.instagram.com/mukht_iiha/ छायाचित्र आभार🙏 - !nterne+  


 
 
 

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