नई शुरुआत💮
- Smriti Tiwari
- Aug 20, 2017
- 1 min read
स्याह आकाशी ओढ़नी , सिंदूरी सी हुई लगता है फ़िर कोई , शुरुआत है हुई .... दीप्त सुर्ख रवि , पवन में ताज़गी नई लगता है फ़िर कोई , शुरुआत है हुई .... दूर मंदिर की प्रार्थना , गूंजती जो सुरमई लगता है फ़िर कोई , शुरुआत है हुई .... कर्म मंच सज्ज , आस पुकारती चली लगता है फ़िर कोई , शुरुआत है हुई .... धूप-छांव नापकर , जो ज़िंदगी चली लगता है फ़िर कोई , शुरुआत है हुई .... ख़ुद की ख़ुशी ओढ़कर , जो मैं हुई नई लगता है फ़िर कोई , शुरुआत है हुई .... ◆◆◆◆◆◆ ● Śमृति @ मुक्त ईहा © https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Like @ https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/ Follow@ https://www.instagram.com/mukht_iiha/ छायाचित्र आभार🤗 - !nterne+

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