तीन तलाक😞
- Smriti Tiwari
- Aug 22, 2017
- 2 min read
ज़नाब ! ये हमारी आस्था का सवाल है इसे बनाने वाला ख़ुद परवर दिगार है.. हमारी कौम के लिए लाज़मी यही है इस पर रोक लगाना मुनासिब नहीं है... फिर बड़े दिनों तक सुनवाई चली हर तारीखों पर फिर तारीखें बढ़ी... मुद्दा है संगीन कहीं चूक न होने पाये इंसाफ सबको बराबर सोच रखा जाये... कौमी सरगना हक़ बताकर लड़ रहे फ़ाज़िल वक़ील दोस्त दलीलें पढ़ रहे... कई कचहरियां हर बार बदल रही नये लोग बदलाव के कारवां में जुड़ रहे... फ़िर बरसों बाद फैसले का दिन आया मज़हब से परे कानूनी अमलन आया... "तीन तलाक़ ख़त्म करिये जड़ से अब" अज़ीम आदिलों का फ़रमान आया !!!! कई महीनों पहले एक आलेख पढ़ा था जिसमें बहुत खालिस तरीके से समझाया गया था कि कैसे तीन तलाक़ की बेजा वकालत दीगर मुस्लिम संगठनों द्वारा की जा रही है। उसके अनुसार तलाक अल्लाह के समीप सबसे नापसंदीदा लफ्ज है। तलाक को लत बनाकर इस्तेमाल करने का तरीका गलत है और इंसानों की ईजाद है। खुद भारत में ऐसे उलेमा और मुस्लिम बुद्धिजीवियों की एक बड़ी तादाद है, जो तलाक के इस तौर तरीके से या तो सहमत नहीं हैं या फिर कुछ कहने से बचते हैं। "तीन तलाक" महिला अधिकारों पर कुठाराघात ही कहा जाएगा जिसपर मुस्लिम तुष्टीकरण के चलते विगत सरकारें भी अपना स्पष्ट पक्ष रखने से बचती रही हैं। इस सबके बीच अंततः तीन तलाक पर दिया गया फैसला लैंगिक न्याय की पुष्टि करने वाला है क्योंकि अगर संविधान हमें अपने धर्म और आस्था को मानने का मौलिक अधिकार देता है, तो उस पर लैंगिक समानता का भी हक देता है।
"स्वागत है इस ऐतिहासिक फैसले का" !!!!! 😊🙏👏 ●●●●●●●●●●●●● आदिल - न्याय करने वाला अज़ीम - महान अमलन - सुरक्षा/शांति ◆◆◆◆◆◆ ● Śमृति @ मुक्त ईहा © https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Like @ https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/ Follow@ https://www.instagram.com/mukht_iiha/ छायाचित्र आभार🤗 - !nterne+

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