रिश्ते क़िताब से..📚📖
- Smriti Tiwari
- Aug 24, 2017
- 1 min read
कहते हैं किताबों में जो क़िरदार मिलते हैं । नाम बदल नुक्कड़ पर वही सरेबाज़ार मिलते हैं । जीते हैं हम उस सोच को जो ग़ैर की जागीर है । दिल का फ़ितूर देखिये उसे यहां बिछड़े यार मिलते हैं । वो प्रेयसी जो है कैद में थोड़ी सी अपनी लगे । शायद उसके अंसाबों से मेरे हालात मिलते हैं । फ़िर ज़िंदगी पलटती है चुप पन्नों की आवाज़ संग । ख्यालों में ही सही पर सच्चे हमराह मिलते हैं । ●●●●●● अंसाब- मुश्किल, दुःख ◆◆◆◆◆◆ ● Śमृति @ मुक्त ईहा © https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Like @ https://www.facebook.com/me.smriti.tiwari/ Follow@ https://www.instagram.com/mukht_iiha/ छायाचित्र आभार🤗 - !nterne+

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