क्या कहूँ??
- Smriti Tiwari
- Sep 22, 2017
- 1 min read
'कहते-कहते बहुत सी बातें लब ये खामोश हो गये। जाने वक़्त का तकाज़ा था या हमारा संभल जाना कि आब-ऐ-चश्म आँखों से बहकर रुकी अधूरी बात कह गये।" ⚪⚫😐🙄 सोचिये तो ज़रा कभी दिल कितनी बातें करता रहता है अपने आप से पर जब वक़्त आता है दिल की बात ज़ुबान पर लाने का तो समझ नहीं आता कि क्या कहूँ ? ⚫कितनी ही बार हाथ सोचते हैं कि उनका दामन थाम लूँ फ़िर से,पर अगले ही पल लगता है कि जब वह वज़ह पूछेंगे तो क्या कहूँ ?🙇 ⚪ कितनी ही बार पैरों ने सारे बंधन तोड़ कर उनकी दिशा में दौड़ लगायी है और जब उन्होंने आने का सबब पुछा तो क्या कहूँ ?😳 ⚫नज़रें इधर-उधर उन्हें ही तलाशती हैं और उनके सामने आने पर जाने किस बोझ से पलकें झुकी ही रहती हैं, आख़िर क्या कहूँ ?😑 ⚪देखिये तो सही आज भी जाने कितनी ही बातें कहने बैठी थी आपसे, कितने ही अफ़साने थे जो बाँटने थे, कितने ही हक़ीक़त वाले लम्हें काटने थे।। ⚫⚫पर आज भी ये मुआं दिल और लब एकजुट नहीं हो पा रहे और बस एक ही आवाज़ आ रही है मुझसे मुझ तक कि बोलो आख़िर अब मैं क्या कहूँ ??? ••✍✍✍ © Śमृति #Mukht_iiha Webpage🏷: https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Facebook👍 : S'मृति "मुक्त ईहा" Instagram❤ : mukht_iiha छायाचित्र आभार🤗 : !nterne+

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