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फ़िरदौस🗾

  • Writer: Smriti Tiwari
    Smriti Tiwari
  • Sep 26, 2017
  • 1 min read

चलो आज कहती हूँ कहानी तुमसे एक 'फ़िरदौस' की ! खुशनुमा फ़िज़ा की रंगत और ज़ीनत से गुलपोश की ! यहीं ज़मीन पर छोटा सा हिस्सा कहलाता कश्मीर है ! बेनज़ीर वादियों से रौशन होती एक खूबसूरत तस्वीर है ! पश्मीना धागों से बुना मख़मली हिन्द का जो सरपोश है ! बर्फानी रूहों को सहलाता कावे सा थोड़ा गर्मजोश है ! कहते हैं रौनक वहाँ की कभी भी नहीं ढ़लती थी ! देख के इस जन्नत को सारी दुनिया हमसे जलती थी ! नज़र लगी ऐसी की वहां बस खौफ़ का मंजर पसरा है ! बमों और बंदूक की आतंकी नोक से हर भाग दहला है ! बोलो क्या फ़िरदौस में ऐसे नापाक काम भी होते हैं ! झीलों का मीठापन लोग यहाँ आँसू मिला कर खोते हैं ! हवा में खून की तीखी सी हाय हर वक़्त महक होती है ! फूलों की क्यारियों में अब देखो ज़ेहाद की खेती होती है ! हर लब है खामोश दूर एक टूटा सा शिकारा रोता है ! ग़र जन्नत अपनी ऐसी है तो फिऱ जहन्नुम कैसा होता है ? ••✍✍✍ © Śमृति #Mukht_iiha Webpage🏷: https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Facebook👍 : S'मृति "मुक्त ईहा" Instagram❤ : mukht_iiha छायाचित्र आभार🤗 : Mirakee 


 
 
 

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