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Gazal🌠

  • Writer: Smriti Tiwari
    Smriti Tiwari
  • Oct 27, 2017
  • 1 min read

बस एक ख़्याल तुम्हारा और हज़ारों लकीरें उभरती पेशानी पर। सज़दे किये जाने कितने ही मैंने, बाज़ दफ़ा तेरी नादानी पर। रुदादे ग़म कह रंगे जो पन्ने सारे, चली देकर तुझे निशानी पर। सुकूने अबदी हासिल कर भूली, हर साँस थी तेरी मेहरबानी पर। •••••••• पेशानी- माथा सुकुने अबदी- मौत रुदादे ग़म- प्रेम व्यथा का वृत्तांत •••✍✍ © Śमृति #Mukht_iiha Webpage🏷: https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Facebook👍 : S'मृति "मुक्त ईहा" Instagram❤ : mukht_iiha छायाचित्र आभार🤗 : Internet 


 
 
 

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