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  • Writer: Smriti Tiwari
    Smriti Tiwari
  • Nov 9, 2017
  • 1 min read

जो सीखा तुमसे सीखा !

मौसम से समय बदलना सीखा है, साँसों से हरदम चलते रहना सीखा । इश्क़ से बिन पिये बहकना सीखा है, मुश्क से टूटकर तड़पना सीखा । अशकों से थमकर रहना सीखा है, मेघों से जमकर बरसना सीखा । निंदिया से ख़्वाब को चुनना सीखा है, सुबह से मंज़िल तक बढ़ना सीखा । अम्मा से नन्ही फ़िकरें करना सीखा है, बाबा से अपनों का संबल बनना सीखा । लोकलाज से छिप के रोना सीखा है, पर खुल के मुस्काना तुमसे सीखा !​ 

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