top of page

  • Writer: Smriti Tiwari
    Smriti Tiwari
  • Nov 13, 2017
  • 1 min read

झर-झर नीर बहे नैनन से कैसे तोहे बतियां सुनाऊं पिया। तोहे देखूं छिपते छिपाते अपनी सुध-बुध बिसराऊं पिया। छाप तिलक सब छीनी मोसे अंग तोरी सुगंध ही पाऊं पिया। पैजनिया के बंधन तजके मैं विरहन सी अकुलाऊं पिया। तोरी बतियों ने जो छुअन दी अब मन ही मन सकुचाऊं पिया। चरणों की धूली तेरी लेकर सूनी अपनी मांग सजाऊं पिया। सर चूनर ओढूं लोकलाज की तेरे सम्मुख ओहे गिराऊं पिया। अधर न खोलूं सांसों से तोलूं मोरी प्रीत से महक मैं जाऊँ पिया। •••✍✍✍ © Śमृति #Mukht_iiha Webpage🏷: https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Facebook👍 : S'मृति "मुक्त ईहा" Instagram❤ : mukht_iiha छायाचित्र आभार🤗 : !nterne+ 


 
 
 

Comments


Featured Review
Tag Cloud
bottom of page