Ghazal✍
- Smriti Tiwari
- Nov 14, 2017
- 1 min read
अरमान उनसे जो जुड़े देखो कैसा कहर ढा गये, काँच से ख़्वाब मेरे एक पत्थर दिल से टकरा गये । टूटा चूरा खवाहिशों का आंखों मे फिर यूं चुभा, दोज़ख और फ़िरदौस ज़मीन पर ही नज़र आ गये । नाज़नीन महज़बीन कहते हुये हाय! सितमगर, मेरे पाक दामन पर वासना के दाग लगा गये । मीठी चाशनी सी रुबाई हरपल कानों में घोलकर, लम्हे सारे मेरे वो तो मेरी पलकों तले चुरा गये । अब शिकवे करूँ किससे यहाँ किससे गिला रखूँ, वो जाते-जाते भी मेरी लाश पर खंजर चला गये । •✍✍✍ © Śमृति #Mukht_iiha🌠 Webpage🏷: https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Facebook👍 : S'मृति "मुक्त ईहा" Instagram❤ : mukht_iiha छायाचित्र आभार🤗 : !nterne+

Comentários