🎎Game🎎
- Smriti Tiwari
- Nov 18, 2017
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कवि माननीय श्री गोपालदास जी नीरज द्वारा रचित कविता से प्रेरित।।🙏🙏 कोई त्रुटि हो तो सभी से करबद्ध क्षमा🙏🙏 ......... सृष्टि है शतरंज सी और हम सभी मोहरे यहां पर । हो शाह या पैदल शह पर , वार सब करते बराबर । उजली सी वो मैली चादर , बिछ गई फिर बिसात आकर । खेला है सारे ही रस्मी , चाल-औ-चलन को आज़माकर । ख़्वाब के हैं ख़ैर-ख़्वाह हम, मुकाबिल जहां से नज़रें मिलाकर । नहीं पालते दिल में नदामत, बाज़ी खेलते हैं सिर उठाकर । ग़र दग़ा दे जाये अपना, भूल जाते हम क़िस्मत बताकर । जीत की ख़्वाहिश सब हैं रखते, हम हारते भी उन्हें अपना बनाकर । •••••••• नदामत - ग्लानि मुकाबिल - विरुद्ध •••✍✍✍ © #Smriti_Mukht_iiha🌠 Webpage🏷: https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Facebook👍 : S'मृति "मुक्त ईहा" Instagram❤ : mukht_iiha छायाचित्र आभार🤗 : !n+erne+

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