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Sunrise🌅

  • Writer: Smriti Tiwari
    Smriti Tiwari
  • Nov 21, 2017
  • 1 min read

#नवप्रभात🌅 रंग केसरी सी चादर, तिनकों पे बरसे बादल। नव किरण का उगना, फ़िर जीवन हवन में तपना। निखारता है कुंदन को, दिवस उदित है फ़िर अभिनंदन को। कोरी पाती को सजाना, शब्द भाव के वाक्य बनाना। कर्म के हो वशीभूत, स्व भाग्य का सृजन कराना। रचता ब्रह्म के नंदन को, दिवस उदित है फ़िर अभिनंदन को। परहित का भाव रखना, निःस्वार्थ भी कुछ करना। विष का न हो प्रभाव कोई, ऐसा चंदन सा तू संवरना। प्रस्तुत हों सभी वंदन को, दिवस उदित है फ़िर अभिनंदन को। ••✍✍✍ © #Smriti_Mukht_iiha🌠 Webpage🏷: https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Facebook👍 : S'मृति "मुक्त ईहा" Instagram❤ : mukht_iiha छायाचित्र आभार🤗 : !n+erne+ 


 
 
 

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