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Winter❤

  • Writer: Smriti Tiwari
    Smriti Tiwari
  • Nov 24, 2017
  • 1 min read

#उफ़्फ़_ये_सर्दियां!!!! सूरज को छुपा कर बदली के आगोश में, घूमती हैं अल्हड़ सी अपने अलग ही जोश में, कड़कड़ाती, सरसराती करती रहती मनमर्ज़ियाँ। उफ़्फ़ ये सर्दियां!!!!!! पहले पहल गुलाबी हल्की सी, फ़िर गहरी नीली बर्फानी पिघलती सी, आती भी मर्ज़ी से ही अपनी ये ख़ुद ही अपनी मिर्ज़ियाँ। उफ़्फ़ ये सर्दियां!!!!! चाय के प्याले कई से कॉफी के बीन हज़ार, कहवा कहीं चढ़े सिगड़ी पर कहीं हल्दी संग घुलता प्यार, बड़े जतन से रखी जाती हैं चकली और मठरियां। उफ़्फ़ ये सर्दियां!!!!!! मफ़लर में लिपटे ख़्वाब कई दास्तानों में हिसाब कई, शालों स्वेटर में बुनी मुरादें रज़ाई में कहे अल्फ़ाज़ कई, सुनती फ़रमाइशी अर्ज़ियाँ। उफ़्फ़ ये सर्दियां!!!! ••✍✍✍ © #Smriti_Mukht_iiha🌠 Webpage🏷: https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha Facebook👍 : S'मृति "मुक्त ईहा" Instagram❤ : mukht_iiha छायाचित्र आभार🤗 : !n+erne+ 


 
 
 

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