Unspoken ✍
- Smriti Tiwari
- Jan 6, 2018
- 1 min read
यह टीस है या सीख आप स्वयं निर्धारित करें!!🙏 बड़े दिनों से अधूरी सी पड़ी थी, आज मुक्कमल हुई तो साझा कर ली आप सभी से!!😊😊 (सुझाव अपेक्षित हैं🙏🙏) ......... सुना था तने हुए दरख़्त ही सबसे पहले कटते हैं, इसलिये हमने अदब से सर झुकाना सीख लिया!! ........ बचपन से ही था बना दिया तहज़ीब घर की मुझे, देख़ आते ही सबको आदाब फ़रमाना सीख लिया!! ......... इज़्ज़त मुझसे है सबकी ये सबक़ सभी ने रटाया यूँ, नन्हें हाथों ने भी सिर पर दुपट्टा जमाना सीख लिया!! .......... बोले जात मेरी तालीम हासिल करके बहक जाती है, किताबें ख़ाक करके जी चूल्हा जलाना सीख लिया!! .......... अहसास ये दिलाकर हर घड़ी कि बोझ मेरा है बड़ा, मेरे अपनों ने ही मुझको मेहमान बनाना सीख लिया!! .......... ये अल्हड़पन नहीं फ़बता शरीफ़ खातून को मौला, गुड़िया का ब्याह छोड़ ख़ुद घर बसाना सीख लिया!! ...….... मुहब्बत मिले या हो सितम सभी चुपचाप सहने हैं, शौहर का किया वाज़िब ये भी दोहराना सीख लिया!! ......... जो न कहके नाफ़रमानी की तो ज़बरन मसली गई हूँ, तो हाँ में मिलाके हाँ मैंने तकिया भिगाना सीख लिया!! ......... जिस औलाद को हर एक पल तमीज़दारी से सींचा, ज़वां होते ही उसने भी मुझपर चिल्लाना सीख लिया!! ......... ताउम्र पीस डाला मैंने ख़ुद को जिनकी तीमारदारी में, वो उम्रदराज़ी में मुझे दूजे ठिकाने बताना सीख लिया!! .......... यूँ बात-बेबात रौंद कर नाबूद सभी ने किया मुझको, मैंने मौत से मिलकर फ़िर नज़रें उठाना सीख लिया!! ••✍✍✍ © #Smriti_Mukht_iiha🌠 Facebook👍 : Smriti 'मुक्त ईहा' Instagram❤ : mukht_iiha Blog📃: www.mukhtiiha.blogspot.com Webpage🏷: https://smileplz57.wixsite.com/muktiiha छायाचित्र आभार🤗 : !n+erne+

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