

मेरे आखर तेरी सोच से लिपट गए✍✍
यूं खिरद में आकार सिमट गए मेरे आखर तेरी सोच से लिपट गए , कहलाया वो भी काव्य सृजन कोरे कागज़ पर जो बिखर गए ।।।।।। आहिस्ता से मुझको भान...


मुक्त ईहा✍✍
शब्दों के साथ अपने तारतम्य को निभाते हुए विचारों को भावार्थ देने की छोटी सी कोशिश है लेखन✍✍। जहाँ स्वच्छन्द विचार एक पाखी की भांति...