

नज़रे करम👀
उलझे हम इस क़दर उस नज़र से दिल हमारा उनके क़दमों में गिर चला ! वो खुशबू हवाओं में बिखरी इस क़दर क़ल्ब पंखुड़ी जैसा अब्रों में उड़ चला ! ●●● 1....


वक़्त का फ़लसफ़ा✍
कहते हैं ..... वक़्त हर ग़म भुला देता है । या फिर ,,,, इनकी गिरफ़्त में हम खुद को भुला देते हैं ??? भूलने - भुलाने की ये आदत है या ज़िंदगी...


कुछ रूमानी सा..❤
कम शब्दों में ज़्यादा कहने की कोशिश..... छोटी सी बात... मन के जज़्बात... बालकनी का एक किनारा और भीगी सी शाम हाथों में हो चाय का प्याला...


कुछ रूमानी सा❤
कम शब्दों में ज़्यादा कहने की कोशिश..... छोटी सी बात... मन के जज़्बात... दिल को कैद में रखा था बड़े एहतियात से वो तो हवा से निकले, बस छूकर...


धर्म या अधर्म...
दें नाम धर्म या कहें अधर्म प्रतिबिंबित होता है बस कर्म।। खड्ग भी म्यान त्यागती है जब आहत होता है शब्दों का मर्म।। उपहास की हंसी ही गूंजी...


बस यही अरमान है।
ये तुम्हारी कल्पना और बुद्धि का अंजाम है, रास्ते हैं दो मगर वो एक ही पैगाम है जब नहीं तुम जानते थे क्या ज़मीन क्या आसमान, बंदगी जब थी...


विडंबना..
सुर्ख़ियों का मोह है शायद जो ज़मीर सबने भुला दिया बिन सोचे सिर्फ स्वार्थवश ही सब खाक में उसने मिला दिया ।।।। है दशा क्या और दिशा क्या कैसे...


सारांश...
थी रजनी घनी तम गहन व्यापत मन मौन था उम्मीदें समाप्त विहंगम पथ था दूर तलक था क्षुब्ध जैसे सारा आकाश। पथिक था राह भटकने को दुर्गम वन में...


तेरा साथ..❤🌠
चलो क्षितिज के पार जहाँ नभ मिलता है धरती से वहीं सारे बंधन तोड़ मिलें तुम और मैं फिर एक गलती से ..... ~~ मुक्त ईहा ©...


निंदिया एक रूप अनेक😴
गंगा मईया के घाट किनारे स्वर्णिम नील गगन की छांव में.... अपने दोनों पैर पसारे सुस्ताते निंदिया की ठांव में.... मिलता है विश्राम यहां...