

नज़्म...✍✍
तपिश ऐसी थी रात आये उन अधूरे ख़्वाबों में , कि आसमां पे जलता माहताब भी पिघल गया । दहक ऐसी दबी थी सोये से गुबारों में , गहरी अंधेरी रात का...


कुछ प्रश्न अनुत्तरित क्यों है ?
अरे भाई ! आप ही बताइये ....... महिलाएं रात 9 बजे के बाद घर से बाहर निकलती ही क्यूँ हैं ? लड़कियां छोटे कपड़े पहनती ही क्यूँ हैं ?...


मुक्त ईहा ...
इच्छाशक्ति दृढ़ कीजिए अपने विचारों की परवाह मत कीजिये सामाजिक प्रतिकारों की । मुट्ठी भर लोग ही तो हैं ये कुछ तो कहेंगे ही देखकर आपको बेख़ौफ़...


वक़्त 🕛🕟🕚
सरपट दौड़ता हुआ कुछ पीछे भूलता हुआ कई ज़ख़्म ढांकता हुआ मुस्कान बाँटता हुआ । घड़ी की सुईयों को धकेल खिसकता हुआ रेत के माफ़िक लकीरों से फ़िसलता...


ॐ नमः शिवाय....
श्रावण मास के अंतिम सोमवार का "ॐ नमः शिवाय" .. पुष्प चुने वन-उपवन मधुवन शंभू को अर्पित कर जाऊं । मनका बन भोले भंडारी का मैं जग फेरे से तर...


भाई...
एक रिश्ते का उत्सव पर्व जहां कलाई पर बंधे प्रीत के धागे की गांठ के साथ रिश्ता और मजबूत होता है । माथे पर सजते तिलक के साथ विश्वास गहराता...


ऐ दोस्त तेरी दोस्ती .....
दोस्त तेरी दोस्ती कितने रूप धरा करती है, कभी झगड़ती कभी है हँसती कभी रूठा करती है । पर तेरी यही बात तुझे सबसे जुदा करती है, हम रहें न रहें...


"क्योंकि आप सब हैं तो दोस्ती के मायने हैं".... दोस्ती के नाम....
"झिड़कियों की सिगड़ियां दहकती है विश्वास की चाशनी हौले से उबलती है । बरसों की बेबाकियां खुल के पिघलती हैं सुन यारा तब तेरा-मेरा याराना पकता...


कुछ रूमानी सा..❤
कम शब्दों में ज़्यादा कहने की कोशिश..... छोटी सी बात... मन के जज़्बात... सीपी के खोल में तन्हा बूंद सा पड़ा था तेरी चाँदनी गिरी तो मोती मैं...


यक़ीन..🕊
कम शब्दों में ज़्यादा कहने की कोशिश..... छोटी सी बात... मन के जज़्बात... परिंदों सी हो चली है फ़ितरत हमारी अपने ज़ख़्मी परों पर हमें आज भी...